कुछ तो अटका है
हलक में शायद,
जाम है धड़कन भी
भारी सीना है
मद्धम है सांस भी शायद।
लब सूखे हैं आंखे नाशाद हैं
नींद भी कमबख्त कबसे नाराज़ है
चैन भी है बेचैन आजकल
बहुत कुछ है अजीब आजकल।
कुछ तो तरकीब हो कोई
कुछ तो तरीका हो,
कि इस मुई रात को भी
नींद आए
और इस सुबह का भी सवेरा हो।
- मनुज मेहता
3 comments:
Very Nice !
Thanks a lot
Hi, This is Manisha Dubey, this is nice article it's really helpful for me thanks for submitting the post. please keep to up.
Live Current Affairs
Live Sarkari Naukri
How to get a Government Job easily
Facebook Video Download Online
Sarkari Yojana - PM Modi Yojana
Post a Comment