आओ आलिंगन करें
जैसे फूल करता है फूल को
सूरज आभा को और रात चाँदनी को !
आओ आलिंगन करें
जैसे बारिश करती है
धरा को, पहाड़ को पेड़ को, पौधे को
और सम्पूर्ण अंतर्मन को !
आओ आलिंगन करें
क्यूंकि प्रेम से ही सब विद्यमान है
मैं और तुम भी!
दिन और वर्ष सब छूट जायेंगे,
और आँगन में पड़ी साँझ को कहीं लिखा नही जाएगा,
चिडियों की अनगिनत आवाजें बेमानी होंगी
और तुम्हरी देह से टकराती धूप
और आद्र अधर कहीं खो जायेंगे!
आओ आलिंगन करें
क्यूंकि यह रितुगान है,
बुदबुदाते हुए होठों की कामना है,
यह नई कोपलों का स्पष्ट आकार है,
ये वसंत की शुरुआत है
ये झिझकते स्पर्श से
तपते हुए संसार का आभास है
ये पतझड़ से नग्न हुए पेडों पर
नए जीवन का संचार है.
7 comments:
ये वसंत की शुरुआत है
ये झिझकते स्पर्श से
तपते हुए संसार का आभास है
ये पतझड़ से नग्न हुए पेडों पर
नए जीवन का संचार है.
bahut sunder shabda rachana
regards
achhi rachna
ये झिझकते स्पर्श से
तपते हुए संसार का आभास है
ये पतझड़ से नग्न हुए पेडों पर
नए जीवन का संचार है.
सुंदर पंक्तियाँ बधाई आपको आज हिन्दयुग्म के कविसम्मेलन मैं सुना बहुत अच्छा लगा . आपने भी मेरी कवितायें सूनी होंगी
आपको मेरे चिट्ठे पर पधारने हेतु बहुत बहुत धन्यबाद . कृपया अपना आगमन नियमित बनाए रखें
दिन और वर्ष सब छूट जायेंगे,
और आँगन में पड़ी साँझ को कहीं लिखा नही जाएगा,
चिडियों की अनगिनत आवाजें बेमानी होंगी
और तुम्हरी देह से टकराती धूप
और आद्र अधर कहीं खो जायेंगे!
achchhi rachna hai.
mere blog par aane or comment karne ke liye dhanyewaad or mein aapki baat ka matlab nahi samjha
mera manna hai insaan ko sirf or sirf likhna chahiye or kisi cheez mein banthkar agar koi likhta hai to apni baat ko puri tarah se sprasth nahi kar pata
or jo bhi aapne kaha use aap phir se samjha sake to mujhai accha lagega dhanywaad aapka
'very soft and emotional thoughts and beautiful word selection'
regards
आपके खूबसूरत ब्लॉग पर सैर कर आनंद होता है आपका मेरे ब्लॉग पर आगमन मेरा सौभाग्य है कृपया आगमन नियमित बनाए रखे
मेरी नई रचना दिल की बीमारी पढने आप सादर आमंत्रित हैं
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