Monday, April 5, 2021

कहां हो?

 कहां हो?

आपके दिल में

अच्छा! कब से?

जन्म जन्मांतर से!


ऐसी कितनी ही बातों के समंदर

ले के चलते हैं लम्हे!

और यादों की उफनती लहरें

टकराती हैं ज़हन के साहिल पर।


मैं 

उस दिल में बसे रहने के लिए

किसी कड़वी याद को बुझा देता हूं

शाम के साए में 

एक उम्मीद जला देता हूं!



~मनुज मेहता

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