इकरारे-गुनाह इश्क है शरहे-हयात अब,
नज़रों से रह गई जो, क्या हो वो बात अब.
जो जिस्म नाजनीं था निगारे नज़रनवाज़,
वो है निगाह में बर्के-सिफात अब.
गम से जो छूटा हूँ तो ये गम है मुझे,
शबे-अलम से क्यूँकर है नजात अब.
किसने हकीकतों के खज़ाने लुटा दिए,
बेमाया इस कदर है मेरी सौगात अब.
माना तेरे करम में कोई कमी नही,
पर पहले सी है कहाँ मेरी औकात अब.
नींद आ चली है बशर, तबीयत हरी नहीं,
दुनिया है बेठिकाना, क्या आबे-हयात अब.
बशर - my pen name
शरहे-हयात - जीवन का निचोड़
शबे-अलम - दुःख की रात
निगारे नज़रनवाज़- नज़र को मासूम लगने वाला
बर्के-सिफात - बिजलियाँ गिराने वाला
बेमया - तुच्छ
38 comments:
माना तेरे करम में कोई कमी नही,
पर पहले सी है कहाँ मेरी औकात अब.
वाह मनुज जी बेहतरीन गजल बहुत ही अच्छी लगी बधाई हो
माना तेरे करम में कोई कमी नही,
पर पहले सी है कहाँ मेरी औकात अब.
वाह मनुज जी बेहतरीन गजल बहुत ही अच्छी लगी बधाई हो
वाह ! बहुत ही खूबसूरत ग़ज़ल है.शब्दप्रयोग लाजवाब है आपका.
यह बर्क़े-सिफ़ात है ग़ज़ल नहीं!
great work again
regards
ग़ज़ल अभी कच्ची लगी या हो सकता है कविता अधिक अच्छी लिखते हो
माना तेरे करम में कोई कमी नही,
पर पहले सी है कहाँ मेरी औकात अब
यह बहुत पसंद आया ..
माना तेरे ...... औकात अब . बहुत सुंदर पन्तियाँ . बधाई .
आप सभी का इस ग़ज़ल को पसंद करने के लिए शुक्रिया. आपका स्नेह हमेशा ही प्रोत्साहन देता आया है.
शोभा जी ग़ज़ल की व्याकरण काफी पेचीदा है, और रुक्न, काफिया और मतले पर ही अभी तो सर खपाई कर रहा हूँ. पंकज जी धीरे धीरे शायर बना देंगे.
हाहा हाहा.
माना तेरे करम में कोई कमी नही,
पर पहले सी है कहाँ मेरी औकात अब.
उम्दा शेर, लिखते रहें।
मनुज जी मैं भी पंकज जी से ग़ज़ल लिखना सीख रहा हूँ...आप तो काफी सीख चुके हैं लेकिन मैं अभी पहली पायदान पर ही हूँ...पंकज जी कहते हैं की ग़ज़ल में भारी शब्दों का प्रयोग ना करें..शब्द ऐसे हों जो आंखों से सीधे दिल में पहुँच जायें...याने जिनका मतलब समझने के लिए सर ना खुजलाना पड़े...आप ने बहुत अच्छी ग़ज़ल कही है लेकिन भारी शब्दों के प्रयोग को थोड़ा कम करें...मेरी बात का बुरा ना माने..
नीरज
बहुत ही सुन्दर गजल , शव्दो की थोडी मुस्किल हुयी , लेकिन आप ने सब मुस्किल शव्दो का मतलब के साथ लिख दिया.
धन्यवाद
अर्थ की दृष्टि से सुगढ़ मगर संप्रेषण की दृष्टि से तनिक कठिन। शुभकामनाऍं।
बंधों आपका सब का यहाँ पधारने का बहुत बहुत शुक्रिया, जैसे की नीरज जी आपने कहा की मुश्किल शब्दों का चयन किया है, आप सही कह रहे हैं, पर काफी समय से मैं शौकिया तौर पर मीर, जौक और फ़राज़ की शायरी पढ़ रहा हूँ, हो सकता है ये उसी का हैंगओवर है, हाहा हाहा. आप मेरी बाकी पीछे लिखी हुई ग़ज़ल पर भी गौर फरमाइए पंकज जी कही बात पर चलने की कोशिश की है. उम्मीद है आप आते रहेंगे, हमारा नाता तो हिंद युग्म से भी है.
नींद आ चली है बशर, तबीयत हरी नहीं,
दुनिया है बेठिकाना, क्या आबे-हयात अब.
" kitne simplicity se aapne apne jujba-e-jikr kiya hai, or urdu ke alfajon ne to jaise char chand hee lga deyen hain, ye last wala shair hume bhut pasand aaya kyunkee yhee to ek jindge ka akhere sach hai na.."
Regards
आप मेरा समय बदल रहा है लेख पढ़े और अपने विचार दें।
बहुत ही खूबसूरत
शुभकामनाऍं।
आखिरी शेर खास पसंद आया .....बहुत खूब.
खजाने लुटाने वाले की सौगात अब तुच्छ लगने लगी है /लेकिन आपकी बातें मुझे अब अच्छी लगने लगी हैं
aap ko dipawali ki shubkamnaye.
mere blog per punah padhare.
samya badal reha hai or bapu ke desh per nathuo ka raj jaroor pade.
koi ek pankhti ki aur ishara nahin kar sakti main, bahut umda rachna hai aap ki, bemisal
गम से जो छूटा हूँ तो ये गम है मुझे,
शबे-अलम से क्यूँकर है नजात अब.
Loved these lines. Never thought away in going away will sometime chase me! Infact, loved the depth of the lines.
Nice post!
अद्भुत गंभीर भाव शब्दों का सहज प्रवाह
सुखमय अरु समृद्ध हो जीवन स्वर्णिम प्रकाश से भरा रहे
दीपावली का पर्व है पावन अविरल सुख सरिता सदा बहे
दीपावली की अनंत बधाइयां
प्रदीप मानोरिया
बहुत सुंदर .दीपावली की ..बधाई..
दीप मल्लिका दीपावली - आपके परिवारजनों, मित्रों, स्नेहीजनों व शुभ चिंतकों के लिये सुख, समृद्धि, शांति व धन-वैभव दायक हो॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰ इसी कामना के साथ॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰ दीपावली एवं नव वर्ष की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं
Bahut Khub.. Gazal Ki Ladiyan Yun Hi Sajaye Rakhein..
Deppavali Ki Hardik Subhkamnayein...
God Bless You...
:)
गम से जो छूटा हूं तो ये गम है मुझे...
बहुत खूब!
दीपावली हार्दिक शुभकामनाएं!
मनुज
दूसरी बार आपके ब्लॉग पर आया. कमाल का लिखते हैं आप. आज कल ग़ज़ल इतनी ज्यादा लिखी जा रही है कि अब इस भीड़ में अच्छी ग़ज़ल पाना काफी मुश्किल हो गया है. आपके ब्लॉग पर आकर नज़र ठिठक गयी अच्छे विज़न के साथ सही वज़न की गज़ल
माना तेरे करम में कोई कमी नही,
पर पहले सी है कहाँ मेरी औकात अब.
....... बहुत अच्छा .......आगे भी इसी तरह उम्मीद रहेगी
मित्रवर,
नमस्कार.
मेरे ब्लाग 'यार चकल्लस' पर आपकी टिप्पणी पढ़ कर आपकी सदाशयता से अभिभूत हूं.
परन्तु आपकी जानकारी के लिये निवेदन है कि
यों तो मेरे पांच ब्लाग है लेकिन मैं केवल तीन ब्लाग्स को ही निरन्तर अपडेट कर पा रहा हूं.
इसलिये यदि आप मेरे निम्न ब्लाग्स पर भ्रमण करेंगें तो मेरी जानकारी में रहेंगें और संवाद बना रहेगा
योगेन्द्र मौदगिल डाट ब्लागस्पाट डाट काम
yogindermoudgil.blogspot.com
हरियाणा एक्सप्रैस डाट ब्लागस्पाट डाट काम
haryanaexpress.blogspot.com
कलमदंश पत्रिका डाट ब्लागस्पाट डाट काम
kalamdanshpatrika.blogspot.com
निम्न दोनो ब्लाग्स अभी अपडेट नहीं कर पा रहा हूं
हास्यकविदरबार डाट ब्लागस्पाट डाट काम
hasyakavidarbar.blogspot.com
यारचकल्लस डाट ब्लागस्पाट डाट काम
yaarchakallas.blogspot.com
शेष शुभ
आशा है आप उपरोक्त तीनों ब्लाग्स ही पढ़ेंगें
साभार
-योगेन्द्र मौदगिल
bahut sunder rachana
Very Nice Post
Shyari is here plz visit karna ji
http://www.discobhangra.com/shayari/romantic-shayri/
बहुत बहुत उम्दा, कमाल, वाह!
आपकी नई पोस्ट का इंतज़ार है आपका मेरे ब्लॉग पर स्वागत है
माना तेरे करम में कोई कमी नही,
पर पहले सी है कहाँ मेरी औकात अब
KYA BAAT HAI......
BAHUT KHUB BHAI........
रहमत में कमी है न गुनाहों में कमी है
देखेंगे हश्र क्या होगा
Beautiful, Manoj!
Minus the knowledge of Behr, I know you are learning ... I loved the composition.
God bless
RC
भाई ! हेंग ओवर है या ख़ूब क़लम का ख़ूबसूरत अंदाज़, पढ़ा तो सब ताज़ा हो गया -हरा हरा।
आपकी क़लम और आपसे पुराना परिचय है।
क्या बात है--वही अदायगी--वही रवानगी।
प्रवीण पंडित
very nice poetry....bhut sundar rachna hai aap ki...
किसने हकीकतों के खज़ाने लुटा दिए,
बेमाया इस कदर है मेरी सौगात अब.
माना तेरे करम में कोई कमी नही,
पर पहले सी है कहाँ मेरी औकात अब.
bhut gehri hai ...ye gajl aapki...plz join me...
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