Wednesday, October 22, 2008

गली दूर तक खामोश है.

गली में आज सन्नाटा है,
ना ही कोई आहट ना ही कोई शोर,
मेरी हाथ की घड़ी में
शाम अभी बस ढली ही है,
फिर गली इतनी गुमसुम क्यों

मिसेज गिल भी अपनी कुर्सी डाले नही मिली
बच्चों का शोर, किलकारियां,
आज क्या हुआ है यहाँ

लड़कियों की चहलकदमी और उनके लिए
नुक्कड़ पर
हर शाम जमने वाली लड़कों की टोली
जिनका चेहरा एक आदत सी बन गई है
अपने वक्त पर नही मिले.
आज न कोई पार्किंग को लेकर झगड़ा,
न कोई खुले मेंनहाल पर चर्चा.

पूरी गली दूर तक खामोश है
अलबत्ता छोटे मन्दिर में कोई दिए जला गया है
दिवाली भी तो नज़दीक है,
देर रात तक टेलीविज़न से आती
रीयलिटी शो की आवाजें
सन्नाटा लील गया है आज.
गली के मोड़ का पनवाडी भी नदारद है,

सोचा थोड़ा आगे तक हो आऊं
शायद कोई मिल जाए
पर यहाँ भी
गली के कैनवास पर
अंधेरे का रंग लिए सन्नाटा हर कोने पसरा पड़ा है.

श्रीवास्तव जी के घर के बाहर
कुछ चप्पलें उतरी हुई हैं,

सुख हो ! रब्बा

तभी रात का पहरेदार दिखा,
उसने भी दूर से ही बुझा सा सलाम किया,
मैंने उससे पुछा,
आज रौनक को क्या हुआ,

ओह!!!
कल गली के लड़के मुंबई गए थे- घूमने,
वहां के लोगों ने
दो को मार दिया.

22 comments:

Cinderella said...

God !

With the "bariki" with which you conjure every word, place them one next to another - juxtapose sense - and create a world of your own, where the reader is carried away like he's living in it.....is something so splendid - so marvellous...!!!

I'm always outta words.
Amazing work Manuj !

seema gupta said...

ओह!!!
कल गली के लड़के मुंबई गए थे- घूमने,
वहां के लोगों ने
दो को मार दिया.
"uf! ya janleva sannataa , sach mey hee logon kee jan le gya, ytharth ko aakar daite sunder presentation"

regards

रश्मि प्रभा... said...

ek waqt tha jab vande maatram ki gunj,inklaab ka naara sabki ragon me jaagriti ban daudta tha,aaj nafrat ke visfot aur sare chehre badrang,dahshat,sannata ,
ise kavita nahi kahungi,yah us ghar ki khaamoshi hai,jahan ka chiraag mere,tere ki aag me khatm ho gaya.........

शोभा said...

वाह बहुत सुन्दर।

ताऊ रामपुरिया said...

ओह!!!
कल गली के लड़के मुंबई गए थे- घूमने,
वहां के लोगों ने
दो को मार दिया.
बहुत यथार्थवादी रचना ! शुभकामनाएं !

दीपक कुमार भानरे said...

अन्तिम पन्तियाँ आपकी कविता के सारे मर्म की सुंदर अभिव्यक्ति है . बधाई .

Mohinder56 said...

संवेदनशील रचना है मनुज जी....पहले इस धरती को मानव ने.. देशों मे बांटा... फ़िर देशों को राज्यों में और अब तो आदमी आदमी में फ़र्क होने लगा है.. धर्म के नाम पर, जाति के नाम पर, और नार्थ / साऊथ का भी ठप्पा लगने लगा है... बडी भयावह स्थिति है घिनोनी राजनीति सिर्फ़ वोट के लिये

Manuj Mehta said...

cinderella, रश्मि जी, मोहिंदर जी, सीमा जी ताऊ जी, दीपक जी, शोभा जी, आपने इस संवेदनशील रचना को सराहा और साथ दिया इसके लिए बहुत बहुत शुक्रिया.

Manish said...

bhaiya ham bhi sarahana karate hain...

bahut achcha.....

vaise yaad to aati hi hai... ve chahe bure hi kyon na the...

makrand said...

great lines
well composed
regards

Udan Tashtari said...

बहुत ही उम्दा भावपूर्ण रचना के लिए बधाई.

Vinay said...

गली के कैनवास पर
अंधेरे का रंग लिए सन्नाटा हर कोने पसरा पड़ा है.

भई क्या सोचा है! सच, कमाल कर दिया।

roushan said...

कमाल की भावना उकेरी है आपने

Anonymous said...

oh man!!! you walked me down the memory lane... my house in delhi, we used to play cricket there, cricket? anda fatti kaho!!! but the closure was really tragic... amazing stuff indeed.. thanks for sharing.

cheers

दिगम्बर नासवा said...

बहुत खूब, क्या बात है
मोके पर चोट की है...............

जबरदस्त

soch said...

u are too good manuj ji
u have written damn fact of our country which is going on now a days, one thing i should say thats quite praisable in ur cration thats ur style of simplicity, it really touches ones heart.

Nayan said...

I am speechless. It is very, very touching.

seema said...

beautiful piece of literature !

BrijmohanShrivastava said...

गोवा से आते ही देख ली हालत =वहां याद आरही होगी / चप्पल उतरी देख कर ही क्यों लौट गए अंदर तो जाते

Puja Upadhyay said...

satik shabd hain...mahaul aur waqt ki gambhirta ke anuroop. baarikiyon ko bade acche se ubhara hai aapne. ab tak aisi samvedansheelta jinda hai, abhi bhi ek sundar bhavisya ki kalpana ki jaa sakti hai. aapki is rachna ko hamara salam

Manuj Mehta said...

ब्रिज जी काश जा पता. अन्दर जाने के लिए भी तो कलेजा चाहिए था, मैं इतनी हिम्मत नही जुटा पाया.

Seema Bisht said...

Akhir ki 2 lines har baat kah gai..... aur usase pahle wo base tha that's amazing......