Monday, October 20, 2008

कैसी हो?

कैसी हो?
क्या अब भी क्षुब्द और असयंमित

मैं आकाश हूँ,
इंतज़ार में उस चिडिया के बड़े होने का,
जो पंख फैलाए
और उड़ सके मेरी हवा में.
मैं समुन्द्र हूँ,
इंतज़ार में उस बारिश की बूँद का,
जो मुझमें गिरे
और मेरा ही रूप हो जाए.
मैं तिनका हूँ,
घास का,
प्रतीक्षक उस ओस की बूँद का,
जो धरती में विलीन होने से पहले,
कुछ देर मेरी नोक पर ठहरे,
विश्राम करे.
वो चिडिया, वो बारिश,
वो ओस की बूँद
प्रतीक हैं तुम्हारे,
सिर्फ़ तुम्हारे,
क्या तुम आओगी?

18 comments:

Cinderella said...

Oh man !!!

This piece is totally oh man !!!!!

A brilliantly conjured masterpiece Manuj. LOved it !

Meri kwahish k mere liye wo aisa likte to khwaish mein hi reh gayi...aur hum jo likhte hain wo jaante nahi, par main zarur chahungi aap jiske liye likhte ho - chahe kalpano mein ho ya sacchai mein, ise zarur padhe , aur padhne ki iccha rakhe.

Have a nice day.

रश्मि प्रभा... said...

bade anchhuye se ehsaas aur pratik adbhut,naazuk.....laajawab

दीपक कुमार भानरे said...

सभी पंक्तियाँ बहुत ही सुंदर . बधाई .

Manuj Mehta said...

thanks for liking it, thanks for appreciating it. Cinderella, i can only say that i am lucky in this case.

rashmi ji aapne isey saraha, bahut bahut shukriya
deepak ji aapki badhai mere liye ek prerna srot hai, thanks for liking

manvinder bhimber said...

nice emotoines.....keep it up

रंजना said...

sundar bhavabhivyakti hai.....
likhte rahen.

शोभा said...

मनुज जी
आपकी कविता मुझे बहुत बहती है शायद इसलिए की आप बहुत डूब कर लिखते हैं. सुंदर भावः और भाषा का संगम प्रभावी है. बधाई स्वीकारें.

Vinay said...

बहुत शानदार रचना है, दिल ख़ुश कर दिया!

डॉ .अनुराग said...

बहुत अच्छे खास तौर से ओस की बूंदे वाला हिस्सा .....

Am In Trance said...

"Pratikhsyak uss oss ki boond ka,
Jo dharti mein beleen hone se pehle,
kuch der meri nok par thehre,
Vishram kare....."


Kavita mein dil ka dard toh suna tha...
Pata nehi tha ki zindagi bhi kavita mein saans leti hai...

Dhanyabaad Yeh Mehsus Karwane Ke Liye...
:)

art said...

jeevan se purna...aapka bimb-vidhaan bhi sundar hai...

राज भाटिय़ा said...

क्या बात है. आप की कविता दिल मे उतर गई, बहुत ही सुन्दर,
धन्यवाद

Anonymous said...

Yaar, its like nectar for those who are in love! thanks a million for sharing this. can i post it on my blog??

Manuj Mehta said...

मनविंदर जी, रंजना जी, शोभा जी, विनय, अनुराग, ऍम इन ट्रांस, स्वाति जी, राज भाटिया जी, संजू बाबा मैं आपका तहे दिल से आभारी हूँ की आपने मेरी यह कोशिश सराही और अपना स्नेह दिया. इस उम्मीद में की अगली पेशकश भी आपको पसंद आएगी आपकी आमद का प्रतीक्षक मैं.

hindustani said...

मित्र मैं आप की बात से पूरी तरहे से सहमत हु अगली बार और प्रयास करुगा . और आपने फोटो की बात की तो मैं आप से से कहुगा हिंदुस्तान में फ्रंगियो को ज्यादा महत्त्व दिया जाता है और जब से मेने आपने ब्लॉग पर फरंगी की फोटो लगाई है तभी से लोग मेरे ब्लॉग को पर्ने लगे है
आप से एक अनुरोध आप टाइपिंग के लिए कुछ टिप्स दे
आपका मित्र
वरुण आनंद

Anonymous said...

nice poem

Happy dipawali to you & yours all

Anonymous said...

Wooow! I loved this one. Beautiful!

Prakash Badal said...

बहुत खूब किस पक्ति की तारीफ करूं किसकी छोड़ दूं। सब बढ़िया है।