मैं खींच लूँगा आकाश से नीली चादर
और सफ़ेद बादलों से नरम तकिया,
घास से मांग लूँगा हरा कालीन
और पेड़ से छप्पर,
तुम्हारे लिए सब कुछ वैसा ही रखूँगा,
शरद के आकाश में आधा चाँद,
झींगुरों का संगीत
और जुगनुओं की टिमटिमाती रौशनी.
रात को लगने वाली प्यास के लिए पास की नदी
और तुम्हे रिझाने के लिए कुछ नक्षत्र और आकाशगंगा.
हवा भी मंद मंद तुम्हारे बालों को सहलाती चलेगी.
जहाँ जहाँ तुम्हारा तपता स्पर्श होगा वही फूटेगी ईब
तुम्हारी आधी मुंदी आँखों में मेरे जगे स्वप्न तैर जायेंगे
और एक नयी कविता लिखेंगे
और तुम्हारी रौशनी में
मेरे कुछ अँधेरे शब्द पा जायेंगे ज़िन्दगी.
26 comments:
बहुत बेहद अच्छी रचना धन्यवाद.
पर्यावरण की सुरक्षा का संकल्प लें
भीतर उठते उफान को बहुत सुन्दर शब्द दिए हैं।बहुत सुन्दर रचना है।बधाई।
बेहतरीन रचना। सुखद अहसास वाली। वैसे आपकी फोटो वाली साईट अच्छी है।
Beautiful !!
Lovely to read a piece from you after a long time...I was wondering where were you.
दिल को छूती चन्द लाइने जिनको पढ कर सुकून मिला
वीनस केसरी
प्रेम की पराकाष्टा से निकली हुईए रचना अनुज जी............. बहुत समय बाद आप आये पर प्रेम की गंगा बहा कर आये......शब्द निःशब्द हैं इस रचना पर
सहलाती हुई सी कविता...और तुम्हारा लौटना...लू भरी दोपहरी के बाद एक ठंडी शाम.
जिंदगी में यही कुछ अनोखा सामान है जो हमसे कभी नहीं खो सकता....बहुत खूब.....
आपने बहुत ही acche से प्रेरित किया है......
बहुत ही अच्छा लगा.........
अक्षय-मन
manuj saheb,
kya kahun aapki is nazm par ... kal hi main aapki ye nazm ghar me sabko suna raha tha aur aapki photo website bhi dikha raha tha ..
bhai ,itna khoobsurat kaise likh lete ho yaar ... padhkar main to kahan se kahan pahunch gaya ..
aap to bus ustaad ho boss..
aapki lekhani ko salaam
aapka vijay
meri nayi kavita padhiyenga
dhanyawad
भावपूर्ण रचना। एक बेहतरीन छायाचित्र की तरह।
Der aaye durust aaye.
हर बार की तरह सुन्दर रचना गहरी अभिव्यक्ति
.. व्यस्तता के चलते ब्लॉग जगत से काफी दूर रहा क्षमा प्राथी हूँ
चादर तकिया हरा कालीन छप्पर सब प्रकृति से लेकर यथावत रखूंगा |झींगुर का संगीत होगा जुगनुओं की टिमटिमाती रोशनी होगी ,मंद मंद हवा चलेगी ऐसे प्राकृतिक वातावरण में तुमको रखूंगा |काश तुम रह सको |आज की चमक दमक से दूर
badi khoobsoorat khwabgaah hai...
सुखद अहसास वाली प्यारी रचना
बेहतरीन रचना। कृपया मेरे ब्लॉग पर पधारे
very beautiful creation, amazingly good descrpition of nature. lovely
Bahut hi pyari kavita hai.Shabdo ka kafi achcha prayog hai.. Shukria..
Vaibhav...
बहुत खूब ! शुभकामनायें !
बहुत दिन हो गए...एक नयी पोस्ट की दरकार है.
bahut din ho gaye ab to nayi post aani hi chahiye
excellent creativity..well done!
बहुत सुन्दर...............रात की निशब्दता को एहसास की लेखनी से बखूबी उकेरा है........
मनुज ... !
ऐसा लगा मानों स्वप्नों के हरितालोक में हवाओं के सुखद स्पर्श के साथ अद्भुत प्रस्तार सा पा गया ... मित्र के साथ की अनूभूति एक बार फिर वापस मिली
शुभकामनायें
Love the last lines especially.
I guess words or even existence comes alive when brushed by love.
Cheers,
Anjali
Post a Comment