मैंने सोचा
कि उसके चले जाने से,
जो कांपती सी खाली जगह बची है,
वहाँ कुछ शब्द रख दूँ,
फिर मन में आया,
कि खुरदरे संबंधों और अपमानित आशाओं को क्या नाम दूँगा?
क्यूंकि जाले सिर्फ़ कमरों में ही नहीं,
मन और शरीर पर भी तो उग आए हैं!
मेरे शब्दकोष पर लगे ताले कि चाबी
तो बरसों पहले ही खो दी थी उसने,
पता नही यह जगह
उसे अब याद भी होगी या नही.
इस ताले में रखे शब्द
मुझे उससे जोड़ेंगे या स्पंदित होकर ख़ुद भी खो जायेंगे.
मुझे मालूम है कि
बिना शब्दों के
न तो वो बचेगी न ही ये स्पंदन,
जो बचेगा वो मैं ही होऊंगा ,
क्यूंकि उजाले और मटियाले कि महक बताने के लिए
किसी को तो बचना होगा
शब्दों कि जगह.
42 comments:
क्यूंकि जाले सिर्फ़ कमरों में ही नहीं,
मन और शरीर पर भी तो उग आए हैं!
विलक्षण उपमा है ये...बेहतरीन रचना....
नीरज
क्यूंकि उजाले और मटियाले कि महक बताने के लिए
किसी को तो बचना होगा
शब्दों कि जगह.
" very emotional and touching expressions, liked it"
regards
उजाले और मटियाले कि महक बताने के लिए
किसी को तो बचना होगा
शब्दों कि जगह.
बहुत गहरी और भावपूर्ण रचना है ...
आशाएं कैसे अपमानित हो सकती हैं। कविता अच्छी है।
बहुत खूबसूरत लिखा है. पहली चार पंक्तियाँ ही मोह लेती हैं" उसके चले जाने से, कांपती सी जो जगह बची है, उसमें कुछ शब्द रख दूँ"...बिल्कुल अलग से बिम्ब होते हैं आपके, मुझे आपकी शैली बेहद पसंद है.
तीन तारीख से आपका मुस्कराता हुआ चेहरा नहीं देख पाया था बडा उदास उदास सा महसूस कर रहा था /किसी के चले जाने पर रिक्त स्थान की पूर्ति शब्दों से करना बहुत कठिन होता है और अगर शब्द तलों में बंद हों तो और भी कठिन /बिल्कुल उलझन स्वाभाविक है तलों में से निकले शब्द उनसे जोड़ भी सकते हैं और नहीं भी /
बहुत खूब......ये कमरा कई दिनों से वीरान था ....कविता की आखिरी पंक्तिया ख़ास पसंद आयी
बहुत ही उम्दा रचना है।बहुत बढ़िया लिखा है-
मुझे मालूम है कि
बिना शब्दों के
न तो वो बचेगी न ही ये स्पंदन,
जो बचेगा वो मैं ही होऊंगा ,
क्यूंकि उजाले और मटियाले कि महक बताने के लिए
किसी को तो बचना होगा
शब्दों कि जगह.
bahut sundar ,
man ki baaten , man ki udasiyan , ubhar kar aa gayi hai ..
vijay
poemsofvijay.blogspot.com
बिना शब्दों के न .... वो मैं ही होऊंगा .
बहुत ही खूबसूरत रचना .
sach kaha ....जाले सिर्फ़ कमरों में ही नहीं,
मन और शरीर पर भी उग आए हैं!
bahut hi marmsparshi rachna.....
जाले मन और शरीर पर...क्या कहा है...मान गए साहब...
बहुत खुब.
धन्यवाद
nice one SURBHITMANN.........
नया सा लगा, शुक्रिया।
manuj bhaai hameshaa की तरह गहरे विचार सुंदर शब्द संयोजन
bahut hi ghera likha hai bhai.....................
dil jeet liya........
ab use aapne aap sambhal kar rakhna mera dil hai ab aapke paas.....
मैंने सोचा
कि उसके चले जाने से,
जो कांपती सी खाली जगह बची है,
वहाँ कुछ शब्द रख दूँ,
फिर मन में आया,
कि खुरदरे संबंधों और अपमानित आशाओं को क्या नाम दूँगा?
बहुत ही गहरा संवाद अपने आप से
सुंदर रचना, आपका रचना संसार बहुत ही घना है रिश्तों की बारीकियों के साथ
Atyant bhavpurna....
बहुत सुंदर रचना है, नयी-नयी उपमाओं का प्रयोग किया है आपने बहुत-बहुत बधाई...
bahut achchhi rachna manuj bhai, anvarat likhate rahe. pichhle month se carrom tournaments me vyast hoo. isliye blog par kuch post nahi kar pa raha hu. thanks for visit.
sundar aur gahan bhaav.sundar bhavabhivyakti ke liye aabhaar.
अति सुन्दर!
Hey !
How are you doing..? I came by to ask you your email id so I can send you my invite. I aint gonna start blogging anytime soon but just wanna keep the link alive.
you can reply me here. I'l come by chk again later.
Tc.
Thanks Cinderella for remembering me. i still confused what has happened to you, why have you stopped writing on blog? my email id is surmaiman@gmail.com and manuj@journalist.com. both are my regular accounts i check both of them at higher priority.
regards
Manuj Mehta
Merry X-Mas.
kya baat hai , kya khoob likha hai ...
man ko chooti hui aur gahraati hui.. saath mein yaado ko laati hui..
bahut khoob , badhai ..
kabhi hamare blog par bhi aayiye.
vijay
poemsofvijay.blogspot.com
नया साल आपको मंगलमय हो
मुझे मालूम है कि
बिना शब्दों के
न तो वो बचेगी न ही ये स्पंदन,
जो बचेगा वो मैं ही होऊंगा ,
wah...! soch rahi hun itani der se kyo aayi.tarif k liye sabad nahi hain mere pas bus itana hi kahugi aaj ruh tript hui.
"kyaomki jaale sirf kamro mei hi nhi, mn aur shreer pr bhi to ugg aaye haiN.."
aashaaoN ne niraasha ke saath rishta qaayam kr ke bhi apna vujood nhi khoya hai...
bahot hi umdaa izhaar hai...
mubaarakbaad qubool farmaaeiN !!
---MUFLIS---
कुछ रहे वही दर्द के काफिले साथ
कुछ रहा आप सब का स्नेह भरा साथ
पलकें झपकीं तो देखा...
बिछड़ गया था इक और बरस का साथ...
नव वर्ष की शुभ कामनाएं..
नव वर्ष में वंदन नया ,
उल्लास नव आशा नई |
हो भोर नव आभा नई,
रवि तेज नव ऊर्जा नई |
विश्वास नव उत्साह नव,
नव चेतना उमंग नई |
विस्मृत जो बीती बात है ,
संकल्प नव परनती नई |
है भावना परिद्रश्य बदले ,
अनुभूति नव हो सुखमई |
i came first time on your blog . i am really impressed. very good poem. specialy these lines क्यूंकि जाले सिर्फ़ कमरों में ही नहीं,
मन और शरीर पर भी तो उग आए हैं!...
great work of writing.
kabhi fursat mile to mere blog par aayienga . : poemsofvijay.blogspot.com
aapka
vijay
sorry it was third time ...
i came and read this ..
vijay
सुन चुका हूं आपके मुंह से ये कविता....बढिया है..बहुत बढिया...
नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं !!
Manuj ji shabad khatam ho gaye hain kya kahun
kuch shbad kaha se milenge un rishton ke liye
bus khmosh si hi gayi hoon
itna ghara ................
क्यूंकि जाले सिर्फ़ कमरों में ही नहीं,
मन और शरीर पर भी तो उग आए हैं!
bahut achha.....
kurdure sambhando aur apmanit aashaon....... behad samvendansheel shabd, laga kisi ne man khol kar rakh diya hai.....
होली की हार्दिक शुभकामनाएँ .
आपका कमरा एक माह से रिक्त है सर जी
bahut marmsparshi shabd hai
Blogging is the new poetry. I find it wonderful and amazing in many ways.
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